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मानसश्री गोपाल राजू की धनप्रदायक पुस्तकों का सार-संक्षेप
‘अध्यात्म में चाहिए नाम और संसार में चाहिए दाम’ वाली कहावत बिल्कुल ठीक है। परन्तु हमारा सबसे बड़ा दुभार्ग्य यही है कि न तो हम अध्यात्म का सीधा-सच्चा मार्ग अपना पा रहे हैं और ना ही धन के लिए हमारी हवस पूरी हो पा रही है। परिणाम सबके सामने हैं -ईर्ष्या, द्वेष, रोग, शोक, दारिद्रय, मानसिक, संत्रास आदि । इन सबका मूल कारण है प्रकृति, प्रभु प्रदत्त घटकों, संस्कारों तथा परम्परागत चली आ रही धार्मिक आस्थाओें पर अविश्वास और उनका तिरस्कार। प्रस्तुत लेख में कुछ ऐसी ही तिरस्कृत आस्थाओं का उल्लेख कर रहा हूँ, इन्हें श्रद्धा से अपनाएँ और नाम तथा दाम पाने का मार्ग प्रशस्त करेंः
1. भगवती लक्ष्मी को नित्य प्रातः लाल पुष्प अर्पित करके दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं, धन लाभ होगा।
2. मंगल तथा शनिवार को पीपल के एक पत्ते पर ‘राम’ लिखकर उसपर कोई मिष्ठान रखें और हनुमान जी के मन्दिर में चढ़ा दिया करें, धन की प्राप्ति होगी।
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